लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2693
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

अध्याय - 3

कार्बोहाइड्रेट्स

(Carbohydrates)

प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. कार्बोहाइड्रेट के स्रोत बताइए।
2. शरीर में कार्बोहाइड्रेट के कार्य लिखिए।

उत्तर -

कार्बोहाइड्रेटस

कार्बोहाइड्रेट्स को कार्बोज भी कहा जाता है। शरीर की कार्यशीलता के लिए निर्धारित छह पोषक समूहों में से कार्बोहाइड्रेट्स का प्रमुख स्थान है। हमारे आहार का मुख्य भाग कार्बोज ही है। जिस प्रकार रेलागाड़ी के लिए ईंधन कार्य करता है, कार्बोज भी शरीर में वही कार्य करता है। जिस प्रकार ईंधन जलकर ऊर्जा प्रदान करता है, उसी प्रकार कार्बोहाइड्रेट जलकर ऊर्जा प्रदान करता है। कार्बोहाइड्रेटरूपी ईंधन श्वास में ली गई ऑक्सीजन द्वारा जलकर ताप व ऊर्जा को विमुक्त करता है। यह ऊर्जा व ताप शरीर की विभिन्न गतिविधियों व क्रियाकलापों के लिए आवश्यक है। शारीरिक गति व क्रियाशीलता के लिए हमें सामान्यतः जितनी ऊर्जा व ताप की जरूरत होती है, उसका 55-60% भाग हमें कार्बोज द्वारा ही प्राप्त होता है।

प्रकृति में कार्बोहाइड्रेट्स प्रचुर मात्रा में विद्यमान है। पेड़-पौधे एवं अन्य वनस्पति पदार्थ कार्बोहाइड्रेट्स की प्राप्ति का अनमोल स्रोत हैं। हरे वनस्पति पदार्थों में पर्णहरिम अथवा क्लोरोफिल उपस्थित रहता है। यह क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश की सहायता से वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड व पृथ्वी के द्वारा अवशोषित जल से संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करता है। यह क्रिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कही जाती है। प्रारम्भ की स्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स सरल शर्करा के रूप में पौधों के रस में घुली रहती है। धीरे-धीरे यह गाढ़ी होती चली जाती है तथा सान्द्र व ठोस रूप में परिवर्तित होकर स्टार्च अथवा जटिल शर्करा के रूप में संचित हो जाती है।

कार्बोहाइड्रेट्स को पौधे प्राय: स्टार्च के रूप में अपने भीतर संगृहीत कर लेते हैं। अन्त में यह स्टार्च धीरे-धीरे सेलुलोस का रूप धारण करके पेड़ों में रेशों व लकड़ी का निर्माण करता है। स्टार्च पौधे की आवश्यकतानुसार ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करता है। प्रायः पौधों को यह आवश्यकता उस समय पड़ती है जब वे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में भाग नहीं ले पाते अथवा बीज के अंकुरण के समय जब तक उसकी पत्तियाँ प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को सम्पन्न करने योग्य न हो जाएँ तब तक पौधे की वृद्धि का कार्य इसी संगृहीत कार्बोहाइड्रेट्स अथवा स्टार्च से लिया जाता है। जब पत्तियाँ स्वयं प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में भाग लेने योग्य हो जाती हैं तो उसमें आवश्यकता से अधिक कार्बोहाइड्रेट फिर से स्टार्च के रूप में संगृहीत होने लगता है। विभिन्न प्रकार के पौधों की जड़ों व अनाज में स्टार्च का बाहुल्य होता है। यह संगृहीत स्टार्च पौधों के तुधान्य और जड़ वाली सब्जियों के अतिरिक्त चावल, गेहूँ, बाजरा, आलू आदि में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

निम्नलिखित रासायनिक समीकरण द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रदर्शित की जा सकती है-

                           क्लोरोफिल की
6CO2 + 12H2O + सूर्य का प्रकाश --------------------- C6H12O6 + 6O2 + 6H2O
                            की उपस्थिति में   शर्करा + आक्सीजन+ जल

O2रासायनिक रूप से कार्बोहाइड्रेट्स पॉलीहाइड्रॉक्सी अथवा कीटोन्स होते हैं अथवा वे जलीय अपघन के पश्चात् प्राप्त होने वाले यौगिक होते हैं।

कार्बोहाइड्रेट्स की रासायनिक रचना व संघटन

कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के रासायनिक संयोग से बनने वाला शर्करा का एक यौगिक है। साधारण कार्बोहाइड्रेट के एक अणु में 6 परमाणु कार्बन के, 12 परमाणु हाइड्रोजन के तथा 6 परमाणु ऑक्सीजन के होते हैं। कार्बोहाइड्रेट में नाइट्रोजन का नितान्त अभाव होता है। अतः इसका सूत्र C6H12O6 हो जाता है। कार्बोहाइड्रेट में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का 2: 1 का अनुपात होता है इसलिए कार्बोहाइड्रेट को 'हाइड्रेट ऑफ कार्बन' का नाम दिया जाता है।

साधारण कार्बोहाइड्रेट का रासायनिक सूत्र Cn (H2O)n है जहाँ n कार्बन के परमाणुओं की संख्या होती है। हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात ठीक पानी में उपस्थित उनके अनुपात जैसा होता है। जटिल रचना वाले कार्बोहाइड्रेट्स में 2 या 2 से अधिक साधारण कार्बोहाइड्रेट के अणु आपस में संयुक्त हो जाते हैं। इसमें कार्बन के परमाणुओं की जो संख्या होती है, उससे 1 कम पानी के अणु होते हैं। जटिल रचना वाले कार्बोहाइड्रेट्स का रासायनिक सूत्र Cn (H2O)n1 होता है।

कार्बोहाइड्रेट्स के प्रमुख स्रोत -

कार्बोहाइड्रेट्स प्रमुख भोज्य पदार्थों के अन्तर्गत आते हैं। ये ऊर्जा प्रदान करने वाले भोज्य तत्व होते हैं। प्रत्येक कार्य करने के लिए मनुष्य को ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह ऊर्जा उसे कार्बोहाइड्रेट्स युक्त पदार्थों से प्राप्त होती है। यदि मनुष्य के दैनिक आहार में इन पोषक तत्वों का अभाव हो तो उसे कार्यशील रहने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाएगी और उसका स्वयं का स्वास्थ्य भी ढीला रहने लगेगा। अतः यह आवश्यक है कि व्यक्ति को अपने भोजन में ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्वों का पर्याप्त एवं आवश्यक रूप से सेवन करना चाहिए।

प्रायः सभी भोज्य-पदार्थ कार्बोहाइड्रेट युक्त होते हैं। प्रत्येक भोज्य पदार्थ में काबोहाइड्रेट की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। भोज्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट के अलावा एक या एक से अधिक अन्य भोज्य-पदार्थों की उपस्थिति भी होती है। कुछ भोज्य पदार्थ जिन्हें ऊर्जा भोज्य पदार्थों के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट के मुख्य साधन होते हैं; जैसे - विभिन्न अनाज, आटा या रोटी, शकरकन्द तथा आलू। व्यक्ति मुख्य रूप से रोटी के द्वारा ही अपनी ऊर्जा की पूर्ति करते हैं।

कार्बोहाइड्रेट्स की प्राप्ति के स्रोतों को प्रमुखतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। ये निम्नलिखित हैं-

(i) मीठे कार्बोहाइड्रेट्स या शर्करा, (ii) फीके कार्बोहाइड्रेट्स या स्टार्च।

मीठे कार्बोहाइड्रेट्स दानेदार चीनी, गुड़, बूरा, शक्कर, शहद, किशमिश, खजूर, अंजीर, सूखे मेवे आदि में तथा ताजे फल जैसे अंगूर, केला, सेब, आम, चीकू आदि में सम्मिलित होते हैं। विभिन्न अनाजों जैसे गेहूँ, चावल, मैदा, साबूदाना, अरारोट आदि में तथा विभिन्न दालों जैसे मटर, लोबिया, सेम व राजमा आदि में भी स्टार्च पर्याप्त रूप में उपस्थित होता है। विभिन्न कन्द-मूल व सब्जियाँ जैसे आलू, अरवी, शकरकन्द व जिमीकन्द तथा विभिन्न सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू, मूँगफली व अखरोट भी स्टार्चयुक्त होते हैं। कच्चे केलों में भी स्टार्च उपस्थित होता है। भोज्य पदार्थों में उपस्थित काबोहाइड्रेट की मात्रा को ध्यान में रखते हुए भोज्य पदार्थों को निम्नलिखित क्रम में विभक्त किया जा सकता है। यह क्रम कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को अधिकतम से न्यूनतम प्राप्ति की सीमा को दर्शाता है -

(1) शक्कर, गुड़, चीनी, खाँड व शहद। (2) आलू व साबूदाना। (3) समस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, चना, मक्का, जौ इत्यादि। (4) सभी प्रकार की दालें। (5) सूखे फल; जैसे- किशमिश, मुनक्का, खजूर, अंजीर इत्यादि। (6) मूँगफली, अखरोट, बादाम, काजू, पिस्ता आदि। (7) सोयाबीन, सूखी मटर, सेम, राजमा, लोबिया आदि के बीज। (8) अरवी, शकरकन्द, जिमीकन्द आदि। (9) केला व अन्य मीठे व ताजे फल। (10) विभिन्न प्रकार की शाक-सब्जियाँ।

भारतीय आहार में अधिकांशत: गेहूँ, चावल तथा आलू मुख्य रूप से सम्मिलित रहते हैं। जिन परिवारों को आर्थिक तंगी के कारण उचित आहार नहीं मिल पाता, केवल वहीं कार्बोहाइड्रेट की हीनता के शिकार होते हैं। औसतन व्यक्ति अपनी ऊर्जा की आवश्यकता का 90% भाग कार्बोहाइड्रेट से ग्रहण करता है। अत्यधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेने से उसके शरीर की ऊर्जा की आवश्यकता तो पूरी हो जाती है परन्तु प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन आदि पोषक तत्वों की. कमी हो जाती है जिससे कुपोषण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

कार्बोहाइड्रेट के वर्ग

सभी प्रकार के कार्बोहाइड्रेट को तीन वर्गों में बाँटा गया है। ये वर्ग हैं-मोनोसैकेराइड्स, डाइसैकेराइड्स तथा पॉलीसैकेराइड्स। मोनोसैकेराइड्स तीन प्रकार के होते हैं - ग्लूकोस,

फ्रक्टोस तथा गैलेक्टोस। डाइसैकेराइड्स भी तीन प्रकार के होते हैं-सुक्रोस, लैक्टोस तथा माल्टोस। माल्टोस का गठन ग्लूकोस की दो इकाइयों से होता है। पॉलीसैकेराइड्स भी तीन प्रकार के होते हैं- स्टार्च, सेलुलोस तथा ग्लाइकोजन।

शरीर में कार्बोहाइड्रेट के कार्य
(Functions of Carbohydrates in Human Body)

कार्बोहाइड्रेट के शरीर में निम्नलिखित मुख्य कार्य हैं-

(1) प्रोटीन को कार्य करने में सहायता देना - कार्बोहाइड्रेट का एक कार्य प्रोटीन की बचत करना भी है। जब शरीर को अपनी आवश्यकतानुसार ऊर्जा की प्राप्ति कार्बोहाइड्रेट से हो जाती है तब प्रोटीन के विभक्तिकरण की आवश्यकता नहीं होती। इस तरह प्रोटीन अपना निर्माण कार्य करता रहता है। उसके कार्य में कभी अड़चन नहीं आती। यदि कार्बोहाइड्रेट से पर्याप्त ऊर्जा की प्राप्ति नहीं हो पाती तो प्रोटीन से ऊर्जा लेनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में प्रोटीन मुख्य निर्माणी क्रियाओं से हटकर ऊर्जा प्राप्ति हेतु कार्य करता है। इस प्रकार प्रोटीन की बचत करना भी कार्बोहाइड्रेट का एक मुख्य कार्य हैं।

(2) शरीर को ऊर्जा प्रदान करना - कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शरीर को गति व क्रिया हेतु ऊर्जा प्रदान करना है। 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। सरल कार्बोज जैसे ग्लूकोज तात्कालिक उपयोग के लिए ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति करता है। मनुष्य अपने दैनिक उपयोग की ऊर्जा 55-65% तक की पूर्ति कार्बोहाइड्रेट से ही करते हैं।

(3) नाड़ी संस्थान की रक्षा - नाड़ी संस्थान व कोशिकाओं के लिए ग्लूकोज को ईंधन के स्रोत के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। जब रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है तब मस्तिष्क में ग्लूकोज की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में मस्तिष्क द्वारा अनियन्त्रित व अनियमित संवदेना प्रेषित होने लगती है जो मानसिक विक्षेप के लक्षण हैं।

(4) विटामिन "बी" काम्पलैक्स के निर्माण में सहायक - लैक्टोज प्रायः अन्य कार्बोज की अपेक्षा पानी में घुलनशील है इसलिए यह आँत में अधिक समय तक उपस्थित रहता है जिससे कुछ लाभदायक बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो विटामिन “बी” काम्पलैक्स का निर्माण करते हैं। कुछ बैक्टीरिया आँत में अवशोषित लैक्टोज को लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित कर देते हैं। जिससे आंत्र मार्ग की अम्लीयता बढ़ती है और हानिकारक जीवाणुओं की वृद्धि नहीं हो पाती। यह जीवाणु स्तनपान करने वाले शिशुओं में भी पाये जाते हैं।

(5) कैल्शियम के अवशोषण में सहायक - कार्बोहाइड्रेट का एक रूप लैक्टोज भी है। यह लैक्टोज शरीर में कुछ उपयोगी बैक्टीरिया की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस प्रकार से विकसित होने वाले बैक्टीरिया, शरीर द्वारा ग्रहण किए गए कैल्शियम के अवशोषण में सहायक होते हैं।

कार्बोहाइड्रेट हमारे आहार का एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। आहार में ग्रहण किए गए कार्बोहाइड्रेट का पाचन मुख से ही प्रारम्भ हो जाता है। मुख में पायी जाने वाली लार में विद्यमान टायलिन नामक एन्जाइम इसके पाचन में सहायक होता है। पचे हुए कार्बोहाइड्रेट का अवशोषण छोटी आँत में होता है। शरीर में अतिरिक्त कार्बोज ग्लाइकोजन के रूप में यकृत में संगृहीत होता है। रक्त में ग्लूकोस के नियन्त्रण में इन्सुलिन नामक हॉर्मोन का विशेष योगदान होता है। आहार में कार्बोहाइड्रेट की कमी के परिणामस्वरूप व्यक्ति कमजोरी तथा थकावट महसूस करने लगता है; शरीर स्फूर्तिहीन हो जाता है, त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ जाती हैं। यदि के आहार में कार्बोहाइड्रेट की अधिकता होती है तो व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है, शरीर शिथिल हो जाता है, चुस्ती घट जाती है तथा मांसपेशियों की कार्य क्षमता घटने लगती है।

आहार में निरन्तर कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा ग्रहण करने के परिणामस्वरूप मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा हृदय सम्बन्धी रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।

(6) वसा के ऑक्सीकरण को सामान्य बनाये रखने में सहायक - जब भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो जाती है तो वसा का ऑक्सीकरण सामान्य रूप में नहीं हो पाता और शरीर में कीटोन बॉडीज उत्पन्न हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप शरीर की अम्लीयता बढ़ जाती है जो शरीर के लिए हानिकारक होती है। यह अवस्था कीटोसिस कहलाती है। कीटोसिस की अवस्था में रक्त व मूल में वसा के चयापचय के फलस्वरूप उत्पन्न व्यर्थ पदार्थों का जमाव उत्पन्न हो जाता है।

व्यक्ति थकान व बेचैनी अनुभव करने लगता है। डायबिटीज की अवस्था में व्यक्ति इस तरह की बेचैनी व थकान अनुभव करता है ऐसी अवस्था में व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में नहीं ले पाता हैं

(7) पाचन संस्थान को स्वस्थ बनाना - अनेक कार्बोहाइड्रेट जैसे- सैल्युलोज, पेक्टिन जिनका कोई पोषक मूल्य तो नहीं है परन्तु आमाश्य व आँत की माँसपेशियों की क्रमांकुचन गति को तीव्रता प्रदान करते हैं। ये फीके व रेशेयुक्त होते हैं। इन्हें रफेज कहा जाता है। उनके द्वारा मल अधिक देर आँत में नहीं रहता और बड़ी आँत से होता हुआ मल द्वार द्वारा बाहर निकल जाता है जिससे कब्ज की शिकायत नहीं रहती।

(8) अनेक गम्भीर रोगों से सुरक्षा - अधिक रफेज युक्त भोज्य पदार्थों के सेवन से हृदय रोगी को आराम मिलता है क्योंकि ऐसे आहार में वसा, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम रहती है। रेशे पित्त अम्लों को अधिक विघटित करने वाले जीवाणुओं की वृद्धि में मदद करते हैं तथा यह पित्त अम्ल में अवशोषित कोलेस्ट्रोल को मुक्त करने में उपयोगी सिद्ध होते हैं।

(9) अत्यधिक जैविक महत्व - शरीर में ग्लूकोज अनावश्यक अमीनों एसिड के निर्माण के लिए मुख्य भूमिका अदा करता है। भार की दृष्टि से कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भले ही कम हो पर इनका जैवकीय मूल्य बहुत अधिक होता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दैनिक आहारीय मात्राओं से आप क्या समझते हैं? आर.डी.ए. का महत्व एवं कार्य बताइए।
  2. प्रश्न- आहार मात्राएँ क्या हैं? विभिन्न आयु वर्ग के लिये प्रस्तावित आहार मात्राओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- संदर्भित महिला व पुरुष को परिभाषित कीजिए एवं पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं से आप क्या समझते हैं? दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को बनाते समय ध्यान रखने योग्य आहारीय निर्देशों का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  6. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  7. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिये एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  8. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  9. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित आवश्यकता की विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- प्रस्तावित दैनिक आवश्यकता के निर्धारण का आधार क्या है?
  11. प्रश्न- शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं? इन तत्वों को स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में वर्गीकृत कीजिए।
  12. प्रश्न- भोजन क्या है?
  13. प्रश्न- उत्तम पोषण एवं कुपोषण के लक्षणों में क्या अन्तर है?
  14. प्रश्न- हमारे लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
  15. प्रश्न- शरीर में जल की क्या उपयोगिता है
  16. प्रश्न- क्या जल एक स्थूल पोषक तत्व है?
  17. प्रश्न- स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में अंतर बताइये।
  18. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।
  19. प्रश्न- मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी व अधिकता से क्या हानियाँ होती हैं?
  20. प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
  21. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का मानव शरीर में किस प्रकार पाचन व अवशोषण होता है?
  22. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट की उपयोगिता बताइये।
  23. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट क्या है? इसके प्राप्ति के स्रोत बताओ।
  24. प्रश्न- प्रोटीन से क्या तात्पर्य है? मानव शरीर में प्रोटीन की उपयोगिता बताइए।
  25. प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।
  26. प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- प्रोटीन का जैविक मूल्य क्या है? प्रोटीन का जैविक मूल्य ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
  28. प्रश्न- प्रोटीन की दैनिक जीवन में कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है?
  29. प्रश्न- प्रोटीन की अधिकता से क्या हानियाँ हैं?
  30. प्रश्न- प्रोटीन की शरीर में क्या उपयोगिता है?
  31. प्रश्न- प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव लिखिए।
  32. प्रश्न- वसा से आप क्या समझते हैं? वसा प्राप्ति के प्रमुख स्रोत एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - वसा का पाचन एवं अवशोषण।
  34. प्रश्न- वसा या तेल का रासायनिक संगठन बताते हुए वर्गीकरण कीजिए।
  35. प्रश्न- वसा की उपयोगिता बताओ।
  36. प्रश्न- वसा के प्रकार एवं स्रोत बताओ।
  37. प्रश्न- वसा की विशेषताएँ लिखिए।
  38. प्रश्न- पोषक तत्व की परिभाषा दीजिए। सामान्य मानव संवृद्धि में इनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
  40. प्रश्न- विटामिन
  41. प्रश्न- विटामिन 'ए' क्या है? विटामिन ए की प्राप्ति के साधन तथा आहार में इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विटामिन डी की प्राप्ति के साधन बताइये।
  43. प्रश्न- विटामिन सी की कमी से क्या हानियाँ हैं?
  44. प्रश्न- विटामिन डी की दैनिक प्रस्तावित मात्रा बताइये।
  45. प्रश्न- वसा में घुलनशील व जल में घुलनशील विटामिनों में क्या अन्तर है?
  46. प्रश्न- खनिज तत्वों से आप क्या समझते है? खनिज तत्वों का कार्य बताइए।
  47. प्रश्न- फॉस्फोरस एवं लोहे की प्राप्ति, स्रोत, कार्य व इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- कैल्शियम की प्राप्ति के साधन कार्य तथा इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- जिंक की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? इनकी प्राप्ति के साधन उदाहरण सहित समझाइए।
  50. प्रश्न- आयोडीन का महत्व बताइये।
  51. प्रश्न- सोडियम का भोजन में क्या महत्व है?
  52. प्रश्न- ताँबे का क्या कार्य है?
  53. प्रश्न- शरीर में फ्लोरीन की भूमिका लिखिए।
  54. प्रश्न- शरीर में मैंगनीज का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- शरीर में कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- आहारीय रेशे का क्या अर्थ है? आहारीय रेशों का संगठन, वर्गीकरण एवं लाभ लिखिए।
  57. प्रश्न- भोजन में रेशेदार पदार्थों का क्या महत्व है? रेशेदार पदार्थों के स्रोत एवं प्रतिदिन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- फाइबर की कमी शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
  59. प्रश्न- फाइबर की अधिकता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  60. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा को तालिका द्वारा बताइए।
  61. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  62. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  63. प्रश्न-
  64. प्रश्न-
  65. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- भोजन में मसालों की उपयोगिता बताइये।
  68. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  69. प्रश्न- 'भोज्य मिलावट' क्या होती है, समझाइये।
  70. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया से बनाये जाने वाले पदार्थों का वर्णन कीजिए तथा खमीरीकरण प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अनुपूरक व विस्थापक पदार्थों से आपका क्या अभिप्राय है? उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिके शनकि स प्रकार से किया जाता है? वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
  74. प्रश्न- अंकुरीकरण तथा खमीरीकरण किस प्रकार से भोजन के पौष्टिक मूल्य को बढ़ाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया किन बातों पर निर्भर करती हैं।
  76. प्रश्न- खमीरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  78. प्रश्न- 'आहार आयोजन' करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  79. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  81. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  82. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  83. प्रश्न- 'आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  85. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये। किशोरी का आहार आयोजन करते समय आप किन पौष्टिक तत्वों का ध्यान रखेंगे?
  86. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?
  87. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  89. प्रश्न- कैटरिंग की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
  90. प्रश्न- भोजन करते समय शिष्टाचार सम्बन्धी किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
  91. प्रश्न- भोजन प्रबन्ध सेवा (Catering Service) के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
  92. प्रश्न- एक गृहिणी अपने घर में किस प्रकार सुन्दर मेज सजाकर रखती है? समझाइए।
  93. प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।
  94. प्रश्न- केटरिंग सेवाओं की अवधारणा और सिद्धान्त समझाइये।
  95. प्रश्न- 'स्वयं सेवा' के लाभ तथा हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- छोटे और बड़े समूह में परोसने की विधियों की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- Menu से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के Menu को समझाइये।
  98. प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- कैन्टीन का लेखा-जोखा कैसे रखा जाता है? समझाइए।
  100. प्रश्न- बड़े समूह को खाना परोसते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखेंगे तथा अपने संस्थान में एक लड़कियों के लिये कैंटीन की योजना कैसे बनाएंगे? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  101. प्रश्न- खाद्य प्रतिष्ठान हेतु क्या योग्यताओं की आवश्यकता तथा प्रशिक्षण आवश्यक है? समझाइए।
  102. प्रश्न- बुफे शैली में भोजन किस प्रकार परोसा जाता है?
  103. प्रश्न- चक्रक मेन्यू क्या है?
  104. प्रश्न- 'पानी के जहाज (Ship) पर भोजन की व्यवस्था' इस विषय पर टिप्पणी करिये।
  105. प्रश्न- मेन्यू के सिद्धांत क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मेन्यू के बारे में लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book